राग और ताल सुनने से बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं :-
राग मारवा और राग भोपाली से आंतों की बीमारियाँ दूर होती हैं द्य
राग आसारी से मस्तक के रोग दूर होते हैं द्य
राग भैरवी से सिरदर्द ठीक होने लगता है द्य
राग सोहनी से सिरदर्द और मरुरज्जू (रीड़ की हड्डी में जो मनके घिस गए, वो ठीक होने लगते हैं द्य)
राग वसंत और राग सोरट से नपुंसकता दूर हो जाती है
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संगीत का मुख्य आधार नाद है जिसके विषय में ग्रंथो में विस्तार से वर्णन मिलता है
संगीत के माध्यम से जो ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती है वे स्नायु प्रवाह पर वांछित प्रभाव डालकर न केवल उसकी सक्रियता को बढ़ाती है वरन् विकृत चिन्तन को रोकती और मनोविकारों को मिटाती हैं।इन ध्वनि तरंगों से शरीर की अन्तः स्रावी ग्रंथिया सक्रिय हो उठती है और उनसे रिसने वाले हार्मोन्स मानसिक स्थिति में परिवर्तन का स्पष्ट संकेत देते हैं।
स्वरों की एक विशेष अवस्था राग कहलाती है। राग श्रोताओं के लिए चित्तवृत्ति का निर्माण करते हैं। चूंकि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद है अतः हमारे महर्षियों, संगीताचार्यो ने संगीत से होने वाले प्रभाव को आयुर्वेदिक आधार पर ही विश्लेषित किया है। उच्च स्तर के रूक्ष लगने वाले ध्वनि वात के होते हैं, गम्भीर गहरे धनशीलस्य ध्वनि पित्त के होते हैं तथा स्निग्ध भाव वाले सुकुमार और मधुर ध्वनि कफ के होते हैं। इन तीनों के संतुलन के लिए विभिन्न रागो का संयोजन कर मानव की प्रवृत्ति का सही निदान व उपचार किया जाना सम्भव है।
ये जितनी बातें मैंने कही हैं, वे ज्योति सिन्हा जी के ,,,संगीत चिकित्सा में सहायक राग के विशिष्ट तत्वों की भूमिका,,, नामक आर्टिकल के बीच-बीच का वह हिस्सा है, जो मैंने भूमिका बनाने के लिए पेस्ट कर दिया।
संगीत और रागों को लेकर यकायक कुछ दिनों से जानने कि जिज्ञासा हुई, उसी के फलस्वरूप नेट खंगाला, तो कुछ मोती मिले। संगीत, राग, म्यूजिक थैरेपी की बारीक डिटेल देने वाला मैडम का यह आर्टिकल मिला। इसके अलावा संगीत की प्रायमरी स्टेज की जानकारी देने वाला एक और ब्लॉग ,, आवाज,, भी मिला।
दोनों की लिंक क्रमश: नीचे दे रहा हूं...
http://www.rachanakar.org/ jyoti sinha
http://podcast.hindyugm.com/