इस दुनिया में बिरले ही होंगे, जो यह कहें कि उन्हें कोई दुख नहीं है, कोई मलाल नहीं है। अपनी मौजूदा जिंदगी से वे खुश हैं, संतुष्ट हैं।
कहने का मतलब हर किसी की एक-ना-एक दुखती रग होती ही है।
तो आखिर दुख क्या है? क्या यह सापेक्ष है, यानी यह किसी चीज के होने-ना होने की वजह से होता है, या फिर यह एक प्लेटफार्म का ही नाम है?
कहने का मतलब हर किसी की एक-ना-एक दुखती रग होती ही है।
तो आखिर दुख क्या है? क्या यह सापेक्ष है, यानी यह किसी चीज के होने-ना होने की वजह से होता है, या फिर यह एक प्लेटफार्म का ही नाम है?
यह जानने के लिए हमें कुछ और जानना होगा।
वह 'कुछ औरÓ क्या है... यह जानने के लिए आपको इस लिंक में जाना होगा... http://hindizen.com/
यह निशांत जी के ब्लॉग की लिंक है। जो लोग ज्ञानमार्गी हैं, या बुद्धि से भक्ति का रसास्वादन करते हैं, यह ब्लॉग उनके काम का है। इसमें आपको छोटी-छोटी प्रेरक कथाएं, प्रसंग, संस्मरण, गीत-कविताएं मिलेंगी। धर्म-अध्यात्म से रचे-बसे मन वाले खोजी सूफियों की बौद्धिक प्यास मिटाने और सच्ची प्यास की तलब जगाने में यह संभवत: कारगर होगा।
इसी तरह के कुछ और प्रेरक ब्लॉग्स की लिंक यहां नीचे दी जा रही है...
http://www.motivationalblog.net/
http://hindishortstories.wordpress.com/
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