गायन को बढ़ावत जामें चूना चौकसाई है
सुपारिन के साथ साथ मसाल मिले भाँत भाँत
जामें कत्थे की रत्तीभर थोड़ी सी ललाई है
बैठे हैं सभा माँहि बात करें भाँत भाँत
थूकन जात बार बार जाने का बढ़ाई है
कहें कवि ’किसोरदास’ चतुरन की चतुराई साथ
पान में तमाखू किसी मुरख ने चलाई है
अनेक विधाओं में दखल रखने की वजह से उन्हें जीनियस कह रहा हूं।
यह कविता मुझे
प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक युनूस खान के ब्लॉग में मिली।
संगीतप्रेमियों को यह अंदर तक भिगाने वाला ब्लॉग हो सकता है, उसकी लिंक ये रही... http://shrota.blogspot.in/
यह कविता मुझे
प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक युनूस खान के ब्लॉग में मिली।
संगीतप्रेमियों को यह अंदर तक भिगाने वाला ब्लॉग हो सकता है, उसकी लिंक ये रही... http://shrota.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment