तेंदुलकर का महाशतक तो हुआ, लेकिन इसी मैच में भारत बांग्लादेश से हार गया। एक मित्र की टिप्पणी थी- तेंदुलकर हमेशा अपने रिकॉर्ड के लिए खेलता है। उसने सैकड़े के लिए जान-बूझकर धीमी बल्लेबाजी की... इसीलिए भारत को हार का मुंह देखना पड़ा।
बेशक सचिन ने धीमी बल्लेबाजी की, वह शतक पूरा करने के लिए आग्रही भी रहा होगा। लेकिन बाकी बल्लेबाजों का क्या? क्या हम सचिन पर इतने ज्यादा निर्भर हैं।
यह भी तो हो सकता है कि सचिन अपनी स्वाभाविक फितरत की वजह से दबाव में रहे हों, महाशतक तो निमित्त भर था।
ऐसा कहने का पर्याप्त आधार है कि सचिन में दबाव झेलने की कुव्वत कम है। उनके पुराने रिकॉर्ड इसकी पुष्टि करते हैं। जब-जब टीम ने उनसे अपेक्षा रखी, महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों क्षणों, मौकों, मैचों में अक्सर उन्होंने निराश किया। लिहाजा सचिन पर जान-बूझकर धीमी बल्लेबाजी का आरोप सही नहीं होगा।
जाने क्यों हम चीजों का सम्यक मूल्यांकन नहीं कर पाते हैं... हमारी व्यक्तिगत धारणाएं, पसंद, नापसंद उस पर अपना रंग चढ़ा देती हैं।
बेशक सचिन ने धीमी बल्लेबाजी की, वह शतक पूरा करने के लिए आग्रही भी रहा होगा। लेकिन बाकी बल्लेबाजों का क्या? क्या हम सचिन पर इतने ज्यादा निर्भर हैं।
यह भी तो हो सकता है कि सचिन अपनी स्वाभाविक फितरत की वजह से दबाव में रहे हों, महाशतक तो निमित्त भर था।
ऐसा कहने का पर्याप्त आधार है कि सचिन में दबाव झेलने की कुव्वत कम है। उनके पुराने रिकॉर्ड इसकी पुष्टि करते हैं। जब-जब टीम ने उनसे अपेक्षा रखी, महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों क्षणों, मौकों, मैचों में अक्सर उन्होंने निराश किया। लिहाजा सचिन पर जान-बूझकर धीमी बल्लेबाजी का आरोप सही नहीं होगा।
जाने क्यों हम चीजों का सम्यक मूल्यांकन नहीं कर पाते हैं... हमारी व्यक्तिगत धारणाएं, पसंद, नापसंद उस पर अपना रंग चढ़ा देती हैं।
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