19 March 2012

तिल का राज


अब  जा के 
समझ 
पाया  हूं, 
तेरे 
चेहरे 
पे तिल 
का राज 
के दौलते हुस्न 
पे दरबान 
बिठा  
रक्खा है







इश्क में 
जो भी मुक्तिला 
होगा, 
उसका अंदाज 
ही जुदा 
होगा
और क्यूं 
गिर गया है 
भाव 
आज सोने 
का
उसने पीतल 
पहन लिया होगा

No comments:

Post a Comment