26 March 2012

त्रिवेदी की बर्खास्तगी

जैसा कि मैंने पहले भी लिखा है, राजदीप सरदेसाई की संवेदनाएं और विश्लेषण अक्सर चौंकाते हैं। वे ऐसे बारीक सत्य बीनने की कोशिश करते हैं, जो धारणाओं, भावनाओं, घटनाओं की धूल भरी आंधी के बाद रेत में कहीं गुम हो जाता है।  ताजा मामला रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी का है, उन्होंने दीदी को बिना बताए यात्री भाड़ा बढ़ाया और हफ्ते भर में रिटायर कर दिए गए। इस प्रकरण पर सरदेसाई को महसूस हुआ कि यह घटना सुधार प्रक्रियाओं की कठिनाई की ओर कम, बल्कि हमारी सरकारों और राजनीतिक दलों के स्वरूप की ओर ज्यादा इशारा करती हैं। अगर सरदेसाई को ऐसा लगा है, तो जाहिर है, यह कहने का, ऐसा लगने का उनके पास पर्याप्त आधार होगा।  मैंने पहले भी लिखा है कि तथ्यों की ठोस बुनियाद पर ही वे बिल्डिंग खड़ी करते हैं। इस आर्टिकल में भी आपको वैसे ही मजबूत, जुड़ाई वाली इमारत दिखाई पड़ेगी..। यह तो हम जानते ही हैं कि त्रिवेदी की बर्खास्तगी क्रिया की ही प्रतिक्रिया है, लेकिन किस क्रिया की... । आप भी हंसराज बनने की कोशिश कीजिए...
यहां जाइए... http://www.bhaskar.com/ railmantri

No comments:

Post a Comment