03 August 2012

चीनी बच्चे

 
ओलिंपिक खेल चल रहे हैं और चीन लाजवाब प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन कुछ है, जो छुपा हुआ है। सफलता पाने के लिए किस हद तक आग्रही हुआ जा सकता है, चीनी बच्चों को देखकर इसे जाना जा सकता है। उन पर जुल्म कर उन्हें ओलिंपिक या इस तरह के खेलों के लिए तैयार किया जाता है। एनबीटी की साइट में लाजवाब कर देने वाली चीनी बच्चों की तसवीरें छपी हैं। बचपन से उन्हें टफ ट्रेनिंग में झोंक देने वाली हृदयविदारक, मेरी नजर में अमानवीय हरकत वाली तसवीरें...। डेलीमेल से ली गई ये तसवीरें बताती हैं कि कैसे चीनी बच्चों की भावनाओं को दरकिनार कर, क्रूर तरीके से अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए तानाशाही ढंग से उन्हें प्रेक्टिस कराई जाती है।
हॉलीवुड फिल्म निंजा में एक जापानी किरदार था, जो कि बच्चों को जबरन अपने उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करता था। उन पर अपनी विचारधारा थोप कर काम करता था। अंत में अपने ही एक बगावती बच्चे के द्वारा उसकी मौत होती है।
हर बच्चा अपने में एक स्वतंत्र विचार होता है। उसके पास एक इच्छाशक्ति, निजता... उसकी अपनी मौलिकता होती है। इसे नजरअंदाज कर अपने स्वार्थ के लिए उस पर अपना कोई मकसद थोपना अंत में बगावत को ही आमंत्रण देना है। चीन एक विशाल फैक्ट्री में तबदील हो चुका है, जहां प्रोडक्ट बच्चे हंै, जिन पर अपनी विचारधारा थोपकर, उन्हें एक मकसद देकर अपने मनमाफिक सांचे में तैयार किया जाता है। ऊपरी तौर पर कहने के लिए मानव वास्तव में मशीन।

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