28 March 2012

पान महिमा



 पान सो पदारथ सब जहान को सुधारत
गायन को बढ़ावत जामें चूना चौकसाई है
सुपारिन के साथ साथ मसाल मिले भाँत भाँत
जामें कत्थे की रत्तीभर थोड़ी सी ललाई है
बैठे हैं सभा माँहि बात करें भाँत भाँत
थूकन जात बार बार जाने का बढ़ाई है
कहें कवि ’किसोरदास’ चतुरन की चतुराई साथ
पान में तमाखू किसी मुरख ने चलाई है

हास्य रस से सराबोर यह कविता एक जीनियस द्वारा लिखी गई है।
उनका नाम है- किशोर कुमार....
अनेक विधाओं में दखल रखने की वजह से उन्हें जीनियस  कह रहा हूं।
यह कविता मुझे
प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक युनूस खान के ब्लॉग में मिली।
संगीतप्रेमियों को यह अंदर तक भिगाने वाला ब्लॉग हो सकता है, उसकी लिंक ये रही... http://shrota.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment