03 December 2011

पहले क्यों नहीं बताई यह बात

एक दिन मुल्ला नसीरुद्दीन अपने घर में फुरसत में बैठे थे और अपने चाहने वालों से गप्पबाजी कर रहे थे। उसी समय एक भिखारी ने उनके घर का दरवाजा खटखटाया। मुल्ला उस समय घर की ऊपरी मंजिल पर थे। उन्होंने खिड़की खोली और देखा तो वह फटेहाल भिखारी नीचे दरवाजे के पास टहल रहा था। उन्होंने ऊपर से ही उससे चिल्लाकर पूछा- क्या हो गया, क्यों दरवाजा खटखटा रहे हो, क्या चाहिए?
भिखारी ने कहा- मुल्ला आप नीचे आइए, तो मैं आपको बताऊंगा? मुल्ला ने कहा- अरे भाई चिल्लाकर बता दो। भिखारी ने इंकार किया, तो वे
नीचे उतरकर आए और दरवाजा खोलकर बोले- अब बताओ क्या चाहते हो? भिखारी ने फरियाद करते हुए कहा- कुछ पैसे दे दो, बड़ी मेहरबानी होगी।  नसीरुद्दीन घर में ऊपर गया और खिड़की से झांककर भिखारी से बोला- अरे, वहां क्यों खड़े हो, यहां ऊपर आ जाओ। भिखारी सीढिय़ां चढ़कर ऊपर गया और मुल्ला के सामने जा खड़ा हुआ। मुल्ला ने कहा- माफ करना भाई, अभी मेरे पास खुले पैसे नहीं हैं। एक काम करो, किसी और रोज आकर ले जा लेना। भिखारी को यह सुनकर बहुत बुरा लगा। वह चिढ़कर बोला- मुझे बेवजह  इतनी सारी सीढिय़ां चढऩी पड़ी। आपने ये बात जब मैं नीचे खड़ा था, उसी समय क्यों नहीं बता दी? आपको तो ऊपर जाने पर मालूम चल ही गया था कि आपके पास खुले पैसे नहीं है। मुल्ला भी उसी सुर में बोले- तो फिर तुमने भी मुझे पहले क्यों नहीं बताया? जब मैंने ऊपर से तुमसे पूछा था कि तुम्हें क्या चाहिए! भिखारी भुनभुनाते हुए वहां से चला गया। लेकिन मुल्ला मंद-मंद मुस्करा रहे थे और उनके चेले थोड़ा अनमने से बैठे थे।

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