21 November 2011

लिंकन का पत्र बेटे के शिक्षक के नाम


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपने बेटे के शिक्षक को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने शिक्षक से कुछ अपेक्षाएं रखी थीं। इस पत्र को आदर्श शिक्षक होने की कसौटी की नजीर के रूप में सालों से प्रस्तुत किया जाता रहा है। यह केवल एक छात्र व शिक्षक के सीखने-सिखाने तक सीमित नहीं हैं, इसका दायरा बहुत बड़ा है। पढि़ए, यह पत्र...
सम्माननीय सर...
मैं जानता हूँ कि इस दुनिया में सारे लोग अच्छे और सच्चे नहीं हैं। यह बात मेरे बेटे को भी सीखना होगी। पर मैं चाहता हूँ कि आप उसे यह बताएँ कि हर बुरे आदमी के पास भी अच्छा हृदय होता है। हर स्वार्थी नेता के अंदर अच्छा लीडर बनने की क्षमता होती है। मैं चाहता हूँ कि आप उसे सिखाएँ कि हर दुश्मन के अंदर एक दोस्त बनने की संभावना भी होती है। ये बातें सीखने में उसे समय लगेगा, मैं जानता हूँ। पर आप उसे सिखाइए कि मेहनत से कमाया गया एक रुपया, सड़क पर मिलने वाले पाँच रुपए के नोट से ज्यादा कीमती होता है।
आप उसे बताइएगा कि दूसरों से जलन की भावना अपने मन में ना लाएं। साथ ही यह भी कि खुलकर हँसते हुए भी शालीनता बरतना कितना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि आप उसे बता पाएँगे कि दूसरों को धमकाना और डराना कोई अच्छी बात नहीं है। यह काम करने से उसे दूर रहना चाहिए।
आप उसे किताबें पढऩे के लिए तो कहिएगा ही, पर साथ ही उसे आकाश में उड़ते पक्षियों को धूप, धूप में हरे-भरे मैदानों में खिले-फूलों पर मँडराती तितलियों को निहारने की याद भी दिलाते रहिएगा। मैं समझता हूँ कि ये बातें उसके लिए ज्यादा काम की हैं।
मैं मानता हूँ कि स्कूल के दिनों में ही उसे यह बात भी सीखना होगी कि नकल करके पास होने से फेल होना अच्छा है। किसी बात पर चाहे दूसरे उसे गलत कहें, पर अपनी सच्ची बात पर कायम रहने का हुनर उसमें होना चाहिए। दयालु लोगों के साथ नम्रता से पेश आना और बुरे लोगों के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए। दूसरों की सारी बातें सुनने के बाद उसमें से काम की चीजों का चुनाव उसे इन्हीं दिनों में सीखना होगा।
आप उसे बताना मत भूलिएगा कि उदासी को किस तरह प्रसन्नता में बदला जा सकता है। और उसे यह भी बताइएगा कि जब कभी रोने का मन करे तो रोने में शर्म बिल्कुल ना करे। मेरा सोचना है कि उसे खुद पर विश्वास होना चाहिए और दूसरों पर भी। तभी तो वह एक अच्छा इंसान बन पाएगा।
ये बातें बड़ी हैं और लंबी भी। पर आप इनमें से जितना भी उसे बता पाएँ उतना उसके लिए अच्छा होगा। फिर अभी मेरा बेटा बहुत छोटा है और बहुत प्यारा भी।
आपका
अब्राहम लिंकन
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किसी सज्जन ने लिंकन के शिक्षक के नाम पत्र को कविता में रूपांतरित किया है। वह भी पेश-ए-नजर है...
हे शिक्षक !
मैं जानता हूँ और मानता हूँ
कि न तो हर आदमी सही होता है
और न ही होता है सच्चा;
किंतु तुम्हें सिखाना होगा कि
कौन बुरा है और कौन अच्छा,
दुष्ट व्यक्तियों के साथ साथ आदर्श प्रणेता भी होते हैं,
स्वार्थी राजनीतिज्ञों के साथ समर्पित नेता भी होते हैं;
दुष्मनों के साथ - साथ मित्र भी होते हैं,
हर विरूपता के साथ सुन्दर चित्र भी होते हैं
समय भले ही लग जाए, पर
यदि सिखा सको तो उसे सिखाना
कि पाए हुए पाँच से अधिक मूल्यवान-
स्वयं एक कमाना...
पाई हुई हार को कैसे झेले, उसे यह भी सिखाना
और साथ ही सिखाना,जीत की खुशियाँ मनाना।
यदि हो सके तो ईष्र्या या द्वेष से परे हटाना
और जीवन में छिपी मौन मुस्कान का पाठ पठाना 7
जितनी जल्दी हो सके उसे जानने देना
कि दूसरों को आतंकित करने वाला स्वयं कमजोर होता है
वह भयभीत व चिंतित है
क्योंकि उसके मन में स्वयं चोर छिपा होता है
उसे दिखा सको तो दिखाना-
किताबों में छिपा खजाना
और उसे वक्त देना चिंता करने के लिए...
कि आकाश के परे उड़ते पंछियों का आल्हाद,
सूर्य के प्रकाश में मधुमक्खियों का निनाद,
हरी- भरी पहाडिय़ों से झाँकते फूलों का संवाद,
कितना विलक्षण होता है- अविस्मरणीय...अगाध...
उसे यह भी सिखाना-
धोखे से सफलता पाने से असफ़ल होना सम्माननीय है 7
और अपने विचारों पर भरोसा रखना अधिक विश्वसनीय है!
चाहें अन्य सभी उनको गलत ठहराएं
परंतु स्वयं पर अपनी आस्था बनी रहे यह भी विचारणीय है
उसे यह भी सिखाना कि वह सदय के साथ सदय हो,
किंतु कठोर के साथ हो कठोर...
और लकीर का फकीर बनकर,
उस भीड़ के पीछे न भागे जो करती हो-निरर्थक शोर...
उसे सिखाना
कि वह सबकी सुनते हुए अपने मन की भी सुन सके,
हर तथ्य को सत्य की कसौटी पर कसकर गुन सके...
यदि सिखा सको तो सिखाना कि वह दुख: में भी मुस्करा सके,
घनी वेदना से आहत हो, पर खुशी के गीत गा सके..
उसे ये भी सिखाना कि आँसू बहते हों तो बहने दें,
इसमें कोई शर्म नहीं...कोई कुछ भी कहता हो... कहने दो
उसे सिखाना-
वह सनकियों को कनखियों से हंसकर टाल सके
पर अत्यन्त मृदुभाषी से बचने का ख्याल रखे
वह अपने बाहुबल व बुद्धिबल क अधिकतम मोल पहचान पाए
परन्तु अपने ह्रदय व आत्मा की बोली न लगवाए
वह भीड़ के शोर में भी अपने कान बन्द कर सके
और स्व की. अंतरात्मा की यही आवाज सुन सके;
सच के लिए लड़ सके और सच के लिए अड़ सके
उसे सहानुभूति से समझाना
पर प्यार के अतिरेक से मत बहलाना
क्योंकि तप-तप कर ही लोहा खरा बनता है.
ताप पाकर ही सोना निखरता है
उसे साहस देना ताकि वह वक्त पडऩे पर अधीर बने
सहनशील बनाना ताकि वह वीर बने
उसे सिखाना कि वह स्वयं पर असीम विश्वास करे,
ताकि समस्त मानव जाति पर भरोसा व आस धरे
यह एक बड़ा-सा लम्बा-चौड़ा अनुरोध है
पर तुम कर सकते हो,क्या इसका तुम्हें बोध है?
मेरे और तुम्हारे... दोनों के साथ उसका रिश्ता है;
सच मानो, मेरा बेटा एक प्यारा- सा नन्हा सा फरिश्ता है...
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