04 November 2011

आ चल के तुझे...


सपनों के ऐसे जहां में, जहां प्यार ही प्यार खिला हो,
हम जा के वहां खो जाएं, शिकवा न कोई गिला हो।
कहीं बैर न हो, कोई गैर न हो, सब मिल के यूं चलते चलें
जहां गम भी न हो, आंसू भी न हो, बस प्यार ही प्यार पले

आ चल के तुझे मैं ले के चलूं एक ऐसे गगन के तले
जहां गम भी न हो आंसू भी न हो, बस प्यार ही प्यार पले।।
(किशोर दा का गाया, उन्ही का लिखा, उन्ही के द्वारा निर्मित-निर्देशित फिल्म दूर गगन की छांव में फिल्म का यह गीत है। उपरोक्त लाइनों के चलते यह मेरा सबसे ज्यादा पसंदीदा गीत है।)


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