बिखरे हर ओर खुशियां, बरसे प्यार का रंग
खिलखिला उठे हर चेहरा, न रहे उदास मन।
क्या खोज रहा तू दूर-दूर, सबको पीछे छोड़
रह गया है अकेला, न है कोई उमंग।
किसने रोका है तुझको, किसने टोका है तुझको
सारे मुखौटे उतार फेंक, आ झूम ले मेरे संग।
दो और दो का जोड़ है कितना, किसको यहां फिकर
हम तो अपने में रहते हैं, बाबा मस्त मलंग।
न जगती है न उठती है, कैसी भी प्यास
सुध-बुध सारा खो बैठे हैं, लागी भंग-तरंग
मत ढूंढ़ कहीं सहारा, ये सब है छलावा
खुद पर यकीं कर, खुद अपनी लाठी बन।
न चली है किसी की, न कभी ही चलेगी
मत इठला इतना, मत इतना तन।
हंसी-खुशी है सच्ची दौलत, पे्रम-प्यार है सार
इनके पीछे भाग पगले, इनका साथी बन।
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