खट्टी-मीठी बातें, तो जीवन का रसधार
दोनों का आनंद लो, दोनों में है सार।
भावनाएं तो आती-जाती, ये तो मन का ज्वार
दुख-सुख तो ऐसे होते, जैसे दिन और रात
अपनों से रहता प्यार, अपनों से रहती आस
शिकवा, शिकायत, उलाहना सब 'अपनेपनÓ के साथ।
गैरों से तो दूरी रहती, लंबी और अपार
उनसे कहां कहता कोई, अपने मन की बात।
मस्त रहो बिंदास रहो, झूम लो मेरे साथ
ज्यादा मंथन छोड़ के, ले लो हाथ में हाथ।
आप हमारे अपने, आप हमारे खास
इसीलिए कह रहे, आपसे दिल की बात।
दोनों का आनंद लो, दोनों में है सार।
भावनाएं तो आती-जाती, ये तो मन का ज्वार
दुख-सुख तो ऐसे होते, जैसे दिन और रात
अपनों से रहता प्यार, अपनों से रहती आस
शिकवा, शिकायत, उलाहना सब 'अपनेपनÓ के साथ।
गैरों से तो दूरी रहती, लंबी और अपार
उनसे कहां कहता कोई, अपने मन की बात।
मस्त रहो बिंदास रहो, झूम लो मेरे साथ
ज्यादा मंथन छोड़ के, ले लो हाथ में हाथ।
आप हमारे अपने, आप हमारे खास
इसीलिए कह रहे, आपसे दिल की बात।
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