जूदास ने जीसस को धोखा दिया था। उसे बिकवाया था। उसे पकड़वाया था रात में आकर। जीसस रात में ठहरे हुए थे। और जूदास लाया दुश्मन के सिपाहियों को और जीसस को पकड़वा दिया। तो जूदास से ज्यादा गंदा नाम ईसाइयत के इतिहास में दूसरा नहीं है। यानी किसी आदमी को गाली देनी हो तो जूदास कह दो। तो इससे बड़ी कोई गाली नहीं है। जीसस को फांसी लगवाने से बड़ा और बुरा हो भी क्या सकता है।
लेकिन गुरूजिएफ पहला आदमी है, जिसने कहा यह बात सरासर झूठी है। जूदास दुश्मन नहीं है, जीसस को दोस्त है। और पकड़वाने में जीसस का षड्यंत्र है, जूदास का नहीं। यानी जीसस चाहते है कि पकड़े जाएं और सूली पर लटकाए जाएं। और जूदास उनका सेवक है। और इतना बड़ा सेवक हे कि जब जीसस उसे कहते है कि तू मुझे पकड़वा, तो उनके बाकी शिष्यों की किसी की हिम्मत नहीं है इस काम को करवाने की। लेकिन जूदास तो सेवक है, वह कहता हे: आपकी आज्ञा, जूदास जीसस को पकड़वा देता है।
तो गुरूजिएफ ने सबसे पहले यह कहा कि मैं उन गहराइयों से इस बात की खोज, आपको खबर देता हूं कि जूदास दुश्मन नहीं है और जूदास जैसा मित्र पाना मुश्किल है। कि जो कि मरवाने तक की आज्ञा को मानने को चुपचाप शिरोधार्य हर ले और चला जाए। इसीलिए… सारी ईसाइयत कहती है जूदास के पैर पड़े ईसा ने, पकड़े जाने के पहले। ईसाइयत कहती है कितना अद्भुत था जीसस कि जो पकड़ता रहा था, उसके पैर छुए पैर धोएं।
गुरूजिएफ कहता है कि पैर पड़ने योग्य था वह आदमी जूदास। एकसा आदमी खोजना मुश्किल है। जिसने इसमे भी इनकार नहीं किया—जब जीसस ने कि तू मुझे पकड़वा दे और मेरी फांसी लगवानी जरूरी है। अगर मेरी फांसी नहीं लगती है तो जो मैं कह रहा हूं, वह खो जाएगा। मेरी फांसी लगती है तो वह सील मोहर हो जाएगा। और मेरी फांसी ही अब मेरा काम कर सकती है। और कोई उपाय नहीं है। तो तू मुझे फांसी लगता दे।
फांसी से बचाने वाले मित्र खोजना आसान है, फांसी लगवाने वाला मित्र खोजना बहुत मुश्किल है। लेकिन जब गुरूजिएफ ने पहली दफा यह बात की तो यह बड़ी मुश्किल का मामला हो गया। और सारी ईसाइयत ने बड़ा विरोध किया कि यह क्या बकवास है। यह तुम क्या कह रहे हो। यह तो हमारा सब हिसाब किताब पलट जायेगा। यह तो बात ही ठीक नहीं है। लेकिन एक आदमी हिम्मत जुटा करन ही आया कि आकर कोशिश करता कि यह आदमी कहता कहां से है। लेकिन मैंने प्रयोग किए और मैं हैरान हुआ कि वह ठीक कहता है। जूदास दुश्मन नहीं है। जूदास दोस्त है। वह फकीर ठीक कहता है, वह गलत कहता ही नहीं बिलकुल। मगर बड़ी मुश्किल से खोज पाया होगा, क्योंकि सारा का सारा….
तो मेरा कहना है कि शास्त्र खोज का रास्ता तो है ही नहीं। बल्कि सबसे बड़ी रूकावट है, क्योंकि माइंड को ऐसी बातों से भर देता है जो कि हो सकता है नहीं भी हो। और तब उनसे नीचे उतरना उनके विपरीत जाना भिन्न जाना ही मुश्किल हो जाता है। एकदम मुश्किल हो जाता है।
गुरूजिएफ ने यक जो…..तो उसको नाम दिया क्राइस्ट ड्रामा। उसने कहा कि यह सूली-वूली सब खेल है। ये सब नाटक है। पूरा रचा हुआ, जिस में जीसस ने इस ख्याल पर अपने मित्र को राज़ी कर लिया है। और अपने आस-पास की हवा को कह जो मैं कहा रहा हूं, अब अगर उसे तुम्हें बहुत दूर तक पहुंचना हो उसकी खबर तो मेरी फांसी लगवा देना जरूरी है। नहीं तो यह बात खो जाएगी। मेरी फांसी ही मूल्यवान बनेगी।
इसलिए क्रास मूल्यवान बन गया। क्रास का मूल्य जीसस से ज्यादा मूल्यवान क्रास हो गया।
ओशो महावीर वाणी प्रवचन—1
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