30 August 2012

खिड़की का चौखटा- एक सूफी कथा

एक चोर चोरी के इरादे से खिड़की की राह, एक महल मैं घुस रहा था। कि अचानक उसके चढ़ने और पकड़ने के कारण जिस खिड़की से वह अंदर महल में जा रहा था। उसके वज़न के कारण टुट गई और चोर नीचे जमीर पर जाकर गिरा। काफ़ी ऊचाई से गिरा था इस कारण उसकी एक टाँग की हड्डी टुट गइ। चोर न जाकर अदालत में मालिक के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया कि में इनके घर चोरी करेने के इरादे से अंदर जा रहा था। और इनकी खिड़की इतनी बेकार थी की मैं नीचे गिर गया और मेरी टाँग टुट गई। अदालत ने गृहपति को बुलाया और पूछा। क्‍या यह बात सच है। गृह पति ने कहां हाँ जनाब सुबह हमारी खिड़की टूट कर नीचे जमीन पर गिरी हुई जरूर थी। बाकी तो मैं कुछ नहीं जानता की क्‍या माजरा है।
जज ने कहां माजरा यह है उस चोर को देखते हो वह तुम्‍हारे घर चोरी के इरादे से अंदर जा रहा था। उस खिड़की के टुट कर नीचे गिरने की वजह से उसकी टाँग टुट गर्इ। अब बताओ क्‍या करे।
मालिक ने कहा जनाब मेरा क्‍या कसूर है, यह तो उसकी गलती है, जिसने यह खिड़की का चौखटा बनाया है। आप उस बढ़ाई पर मुकदमा चलाईये।
अगले दिन बढ़ाई को बुलाया गया। तब बढ़ाई ने कहा मेरा क्‍या कसूर है जनाब यह तो राज मिश्री की गलती है। खिड़की के होल पास उसने ठीक से नहीं दबाये होंगे इस लिए वह निकल गये।
राज मिश्री आया उससे पूछा गया तब राज मिश्री ने सफाई में कहां, इसमें मेरे उपर आप नाहक दोष मढ़ रहे हो। दोष के लिए तो वह सुंदर स्‍त्री का है, जो उसी वक्‍त उधर से निकली थी; जब मैं यह खिड़की का चौखटा लगा रहा था। उस स्‍त्री को बुलाया गया और पूछा। तब उस स्‍त्री ने कहां: ‘’ये सारा का सारा दोष इस मुये दुपट्टे का ही है, जो मैं उस दिन इसे आढ़े हुए थी। जो इस कि चतुराई के साथ इंद्रधनुषी रंग में रंगा गया।‘’ वरना तो मुझे कोई देखता भी नहीं। जब भी में बन संवर कर निकली हूं, ऐसा तो पहली बार हुआ है। अब मेरा क्‍या दोष जनाब।
इस पर न्‍यायपति ने कहा, ‘’अब अपराधी का पता चल गया। इस चोर की टाँग टूटने की सारी की सारी जिम्‍मेवार उस रंगरेज की है। जिसने वह दुपट्टा इतनी चतुराई से इंद्रधनुषी रंग में रंगा हे। उसी सब के कारण इस चोर की टाँग टुट गई।
लेकिन हद तो तब हो गई जब उस रंगरेज को पकड़ कर अदालत में लाया गया। और उसे न्‍यायपति के सामने जब पेश किया गया। यह देख कर सब दंग रह गये कि वह रंग रेज़ कोई और नहीं, उस स्‍त्री का पति था और वही चोर था जिसकी उस खिड़की के चौखटे से गिरकर की टाँग टूटी थी।

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