02 March 2012

अंदाज-ए-अदायगी ... 
 भाषा की ताकत, अंदाज-ए-अदाएगी देखना चाहते हैं, तो गीत जी का यह लेख पढि़ए। उनकी बातों में मुरली से ज्यादा घुमाव है और वे शेनवार्न से भी अच्छे स्पिनर हैं.... यदि कागज के मैदान पर कलम से गेंदबाजी करनी हो तब ही...
प्रेम और समंदर को अंतर्संबंधित करने वाले इस लेख में शायद यही कहा जा रहा है कि प्रेम की स्थूल अभिव्यक्ति, स्थूल रूप समंदर है और समंदर की विशाल, अनंत गहराई जैसा ही प्रेम है। आर्टिकल की लिंक नीचे दी जा रही है.... http://www.bhaskar.com 
गीत जी के वैतागवाड़ी ब्लॉग में भी इस आर्टिकल का विस्तारित रूप पढ़ा जा सकता है... उसकी लिंक ये रही... http://geetchaturvedi.blogspot.in/




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