23 September 2011

बीमारी पर भारी कला



माना जाता है कि डिस्लेक्सिया की बीमारी से पीडि़त बच्चे की प्रतिभा और कला की धार को कुंद कर देता है। आगे चलकर भी उनके बहुत अच्छे की आशा नहीं की जाती, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इस रोग पीडि़त होने के बाद भी दुनिया में मिसाल बनकर उभरे...

डिस्लेक्सिया ने दुनियाभर के करोड़ो बच्चों और किशोरों को चपेट में लेने के साथ अमेरिका के ४ करोड़ बच्चों और किशोरों को प्रभावित किया है। आमतौर पर इस बीमारी से पीडि़त बच्चे अपनी कमियों के कारण अवसाद से घिर जाते हैं और अकेलापन महसूस करते हैं। डिस्लेक्सिया के रोगियों के बारे में कहा जाता है कि वे मंदबुद्धि और मूर्ख प्रवृत्ति के होते हैं, जिनसे किसी बड़े काम की अपेक्षा नहीं की जा सकती। लेकिन कुछ लोगों ने इन धारणाओं को गलत साबित किया जैसे..
पाब्लो पिकासो
स्पेन के मलागा शहर में १८८१ को पैदा हुए पाब्लो पिकासो एक मशहूर, विवादित और चित्रकला के स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं। बचपन में एक स्थानीय स्कूल में उन्होंने जाना शुरू किया और वहां बिताया गया उनकी वक्त मुश्किलों से भरा था। स्कूल में पाब्लो के बारे में कहा गया कि वे अक्षरों को पढऩे में असमर्थ हैं और उन्हें डिस्लेक्सिया का रोगी करार दे दिया गया। शुरूआती दिक्कतों के बाद पाब्लो पाठ्यक्रम पढऩे और समझने लगे। फिर भी, डिस्लेक्सिया के चलते उन्हें परेशानी होने लगी और अपनी बुनियादी तालीम का कोई फायदा नहीं उठा सके। इस बीमारी की वजह से उन्हें पूरी •िांद$गी परेशानी का सामना करना पड़ा।  पाब्लो के पिता मलागा में कला के शिक्षक थे और उन्होंने पाब्लो को भी कक्षा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। पाब्लो की याद करने की क्षमता पर सवाल होने के बावजूद एक बात और साफ हो गई थी कि उनमें अतुल्य प्रतिभा है। शुरूआती जीवन में ही पाब्लो ने इस समझ को विकसित कर लिया था कि लोग $खुद को किस तरह दिखाना चाहते हैं और दूसरे लोग उन्हें किस तरह देखते हैं। समय गुजरने के साथ ही पाब्लो ने सौंदर्य की अद्भुत समझ विकसित कर ली थी। उन्होंने चित्रकारी उसी तरह की, जैसा उनकी आंखों ने देखा और मन ने समझा। उनकी चित्रकारी इंसान के मनोविज्ञान पर की गई रचनात्मकता, मनोभाव और कल्पना की शक्ति की एक बेहतरीन मिसाल है। पाब्लो पिकासो ने अपनी कल्पना शक्ति और समझ के बूते कला को एक नया आयाम दिया।

टॉम क्रू•ा
संघर्ष के साथ टॉम क्रू•ा का रिश्ता उनके पैदा होने के साथ ही जुड़ गया था, वे घोर गरीबी में पैदा हुए और पले-बढ़े। वे और उनका परिवार काम की तलाश में लगातार भटकते रहे। टॉम अपनी बुनियादी शिक्षा के लिए किसी स्कूल से लंबे वक्त तक जुड़े नहीं रह सके, क्योंकि काम की तलाश परिवार हमेशा एक जगह से दूसरी जगह भटकता रहता था। मां की तरह टॉम भी डिस्लेक्सिया से पीडि़त थे। उन्हें ऐसे स्कूल में डाला गया था, जहां उनकी बीमारी का इलाज भी हो सके। स्कूल में ज्य़ादा वक़्त न बिता पाने के कारण टॉम ने अपना भविष्य एथलेटिक्स में तलाशना शुरू किया और कई खेलों में भाग लिया। लेकिन घुटने में लगी चोट ने एथलेटिक्स में उनके करियर की सारी उम्मीदें $खत्म कर दीं। इसके बाद टॉम ने $करीब एक साल तक फ्रांस्सिकन मोनेस्ट्री (मठ) में बिताया, लेकिन उनकी किस्मत में पुजारी का काम करना भी नहीं लिखा था। जब वे हाईस्कूल में पहुंचे, तो कई प्ले में अभिनय किया और अपनी मां के कहने और प्रोत्साहित करने पर एक्टिंग में करियर संवारने के लिए तैयार हुए। टॉम ने अपना पूरा ध्यान और ऊर्जा अभिनय की दुनिया में नाम कमाने के लिए लगा दिया। उन्होंने इस साधना में अपनी शारीरिक अपंगता को कभी आड़े नहीं आने दिया और आज हॉलीवुड में स्टंट के सबसे बड़े स्टार माने जाते हैं। 

रिचर्ड बैंसन
लंदन स्थित वर्जिन समूह के संस्थापक और चेयरमैन रिचर्ड बैनसन स्कूल की मौज-मस्ती का हिस्सा कभी नहीं बन सके। ह$की$कत तो यह है कि स्कूल उनके लिए किसी बुरे स्वप्न से कम नहीं था। मानक परीक्षा में उनके अंक बहुत निराश करने वाले थे, जो उनके निराशाजनक भविष्य की ओर इशारा कर रहे थे। डिस्लेक्सिया का रोगी होने के कारण वे बहुत शर्मिंदगी महसूस करते थे और पढ़ाई-लिखाई में उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि उनके शिक्षक उनकी असली प्रतिभा तो तब तक समझ पाने में नाकाम रहे, जब तक रिचर्ड बैनसन ने अपने एक स्कूल के साथी के साथ मिलकर छात्रों  के लिए एक अ$खबार शुरू किया। डिस्लेक्सिया पीडि़त होने के कारण तमाम कठिनाईयों और चुनौतियों का सामना करने के साथ उन्होंने अपना पूरा ध्यान अपने भीतर छुपी प्रतिभा को निखारने में लगाया और सफलता ने उन्हें सारी कठिनाईयों से ऊपर उठा दिया। सफलता के पहले स्वाद और खुद के भरोसे के कारण रिचर्ड बैनसन ने दुबारा पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।
लियोनार्दो दा विंची
दा विंची ने $खुद को प्रकृति के रहस्य समझने के लिए समर्पित कर दिया था। विज्ञान और तकनीक में उनका योगदान अविस्मरणीय है। नवजागरण काल का एक कलाकार होने के नाते उन्होंने दुनिया को अंधविश्वास के अंधेरे से निकालकर विज्ञान और तर्क के प्रति सोचने के लिए उन्मुख किया। वे अपने समय के एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति के अविष्कारक, वैज्ञानिक, इंजीनियर, शिल्पकार, चित्रकार, मूर्तिकार, संगीतकार, गणितज्ञ, खगोलविद और दार्शनिक थे। माना जाता है कि दा विंची भी डिस्लेक्सिया सहित कई तरह की बीमारियों सेे पीडि़त थे। दा विंची की पांडुलिपियां और पत्र उनके डिस्लेक्सिया से पीडि़त होने का समर्थन करते हैं। पांडुलिपियों और पत्रों में उनकी लिखावट और वर्तनी की अशुद्धियां बताती हैं कि उनमें भी डिस्लेक्सिया जैसी बीमारी का असर था। लेकिन दा विंची ने उन सारी बीमारियों से ऊपर उठकर अपने विचारों को जिस रचनात्मकता के साथ प्रस्तुत किया है, वह उनकी अद्वितीय प्रतिभा की गौरवशाली कहानी का ठोस प्रमाण है।

थॉमस एडिसन
दुनिया के महान अविष्कारकों में से एक थॉमस एडिसन को १२ साल की उम्र में स्कूल से बाहर निकाल दिया गया था, क्योंकि स्कूल प्रबंधन ने उन्हें मूर्ख मान लिया था। डिस्लेक्सिया के लक्षण होने के बावजूद उनके अविष्कारों ने दुनिया का नक्शा ही बदल दिया। लाइट बल्ब, फोनोग्राफ और मोशन पिक्चर कैमरा जैसे महत्वपूर्ण थॉमस एडिसन के नाम पर ही दर्ज हैं। इन बीमारियों से पीडि़त होने वाली महान विभूतियां जे लीनो और व्हूपी गोल्डबर्ग जैसे नाम भी शामिल हैं।
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