31 December 2013

सलमान अख्तर



समझ सके तो समझ जिंदगी की उलझन को
सवाल उतने नहीं है, जवाब जितने हैं
 स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर के पिता जाँ निसार अख्तर  उर्दू शायरी में जाना-पहचाना नाम हैं. यह शेर उन्ही का है, जो मुझे बहुत पसंद आया. संभवत: वे कहना चाहते हैं कि चीजें उतनी कठिन नहीं हैं. हम ही उन्हें अपने-अपने चश्मों (धारणाओं-मान्यताओं) से कठिन बना देते हैं.
पता नहीं क्यों, पढ़ते ही यह शेर मुझे  आजिज आ गया और इसके भव से मेरे भीतर एक इत्तफाक, एक सहमति खड़ी हो गई. उनके एक-दो और पसंदीदा शेर ये रहे..
ये ठीक है कि सितारों पे घूम आए हैं
मगर किसे है सलीका जमीं पे चलने का
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जिंदगी जिस को तेरा प्यार मिला वो जाने
हम तो नाकाम रहे चाहने वालों की तरह
जिंदगी ये तो नहीं, तुझको सँवारा ही न हो
कुछ न कुछ हमने तिरा कर्ज उतारा ही न हो

04 January 2013

कांग्रेस जिंदाबाद!


उदाहरण

टीचर - ए बराबर बी और बी बराबर सी, तो ए बराबर सी होता है। इसका उदाहरण देकर समझाओ।
सोनू - सर मैं आपसे प्यार करता हूं और आप अपनी बेटी मोनू से प्यार करते हैं। तो इसका मतलब हुआ मैं मोनू से प्यार करता हूं।