पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में गायों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने के संबंध में पूछे जाने पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पिछले 15 सालों सेें राज्य में गौहत्या जैसी कोई गतिविधि नहीं हुई है और ‘जो यहां गायों को मारेगा उसे लटका देंगे।
और कोई मौका रहता या और किसी भाषा-लहजे के साथ मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ ने यही इरादे जाहिर किए होते, तो उनके इस बयान की त्रिज्या शायद छत्तीसगढ़ की सरहद पार नहीं जा पाती। लेकिन उन्होंने जिस आक्रमकता व तेवर के साथ गौहत्या पर बात रखी, वह राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां पा गया।
आमतौर पर हर विषय पर शालीनता से बात रखने वाले सीएम का यह सख्त रवैया, इस मुद्दे पर यूं एंग्री यंगमैन रूप सचमुच चौंकाने वाला था। क्या यह महज संयोग है कि रमन सिंह का यह सख्य तेवर ऐसे समय में दिखाई पड़ा है, जब गुजरात विधानसभा में गौवध पर आजीवन कारावास का विधेयक पारित हो चुका है व यूपी की योगी सरकार ने अवैध बूचडख़ाने पर बैन लगा दिया है? गौ हत्या पर इन सरकारों का यकायक सख्त हो जाना क्या सांयोगिक है?
जहां तक गौ हत्या की बात…. यह निश्चित ही गंभीर मसला है। इसे भारत में किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। यहां बहुसंख्यक हिंदू आबादी के लिए गाय पूजनीय, माता तुल्य है। यह विशुद्ध रूप से आस्था से जुड़ा मामला है, जिसका सम्मान किए जाने की जरूरत है।
लेकिन गौहत्या हिंदुस्तान में सालों से हो रही है, उसका विरोध भी साथ-साथ चलता रहा है। और सरकारों का रवैया इसे लेकर उदासीन ही रहा है। पर हाल के दिनों में तेवर में बदलाव नजर आए। मेरी दिलचस्पी का केंद्र इस मुद्दे को लेकर दिखाई गई यह टाइमिंग है। ऐसा मालूम पड़ता है, यूपी में मिली करिश्माई जीत से पूरे देश भर में भाजपा का आत्मविश्वास अपने एवरेस्ट पर पहुंच गया है। यूपी में मिला करिश्माई संख्या-बल केंद्र सहित तमाम भाजपा शासित राज्यों को सर्वशक्तिशाली, बाहुबली होने का एहसास करा रहा है। केंद्र व भाजपा शासित विभिन्न राज्यों के हालिया फैसले, अंदाजो-अदायगी यही जाहिर करते हैं। योगी सरकार को बूचड़ खाने बंद करना था, तो उसने सारे विरोध को दरकिनार कर उसे बंद कर ही दिया। रमन सरकार को शराब बेचना था, तो उसने सारे विरोध के बावजूद शराब बेचना शुरू किया ही। यकीनन, आने वाले समय में भी ऐसी और झलकियां मिलती रहेंगी। कोई अचरज नहीं, यदि भविष्य में भी भाजपा, विपक्षी-विरोधी नजरिए की परवाह किए बिना… एक जिद, एक जुनून के साथ अपने एजेंडे, अपनी सोच को, हठात तरीके से लागू करते नजर आए।
सफलता का जाम तो वैसे ही बहुत मादक…बहुत होश उड़ाने वाला होता है। फिर, देश के सबसे बड़े राज्य में ऐसी कल्पनातीत, करिश्माई जीत तो किसी का भी दिमाग खराब कर सकती है। राजनीति के आदिगुरु चाणक्य कहते हैं- शक्ति अपने साथ निरंकुशता लाती है, जबकि शक्ति का मतलब जिम्मेदारी-जवाबदेही होता है। सफलता के घोड़े पर सवार शक्तिशाली भाजपा को इसी बात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। खुले दिमाग से… सही मुद्दों पर सख्त रवैया रहेगा तो वह नोटबंदी की तरह अपने साइडइफेक्ट के साथ भी स्वीकार कर ली जाएगी। लेकिन यदि सोच में… नीयत में खोट होगी, अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश होगी, तो यकीनन लेने के देने पड़ सकते हैं। कामयाबी का घोड़ा कहीं भी मुंह के बल गिरा सकता है।
वास्तव में भाजपा ही नहीं… हर अधिकार संपन्न व्यक्ति या संगठन को यह समझने की जरूरत है कि विचार संक्रामक होते हैं और उत्प्रेरक का काम करते हैं… चीजें आपस में जुड़ी रहती हैं और अदृश्य रूप से एक-दूसरे पर असर डालती हैं। इसीलिए तो योगी सरकार के बूचडख़ाने पर प्रतिबंध के बाद, गुजरात व छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सख्त रवैया अपनाया। इसीलिए तो गोधरा की प्रतिक्रिया गुजरात दंगे के रूप में सामने आती हैं। बाबरी विध्वंस का असर सुदूर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार के रूप में दिखाई पड़ता है।
इसीलिए, अपने हर फैसले के प्रत्यक्ष व परोक्ष परिणामों की चिंता हर नेता का राजधर्म होना चाहिए। सफलता के घोड़े पर मदांध होकर, अतिआत्मविश्वास दिखाकर ज्यादा देर सवारी नहीं की जा सकती… होशपूर्वक, सबको साथ लेकर चलने से… सर्वजन हिताय की भावना से काम करने पर ही इसे काबू किया जा सकता है।
और कोई मौका रहता या और किसी भाषा-लहजे के साथ मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ ने यही इरादे जाहिर किए होते, तो उनके इस बयान की त्रिज्या शायद छत्तीसगढ़ की सरहद पार नहीं जा पाती। लेकिन उन्होंने जिस आक्रमकता व तेवर के साथ गौहत्या पर बात रखी, वह राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां पा गया।
आमतौर पर हर विषय पर शालीनता से बात रखने वाले सीएम का यह सख्त रवैया, इस मुद्दे पर यूं एंग्री यंगमैन रूप सचमुच चौंकाने वाला था। क्या यह महज संयोग है कि रमन सिंह का यह सख्य तेवर ऐसे समय में दिखाई पड़ा है, जब गुजरात विधानसभा में गौवध पर आजीवन कारावास का विधेयक पारित हो चुका है व यूपी की योगी सरकार ने अवैध बूचडख़ाने पर बैन लगा दिया है? गौ हत्या पर इन सरकारों का यकायक सख्त हो जाना क्या सांयोगिक है?
जहां तक गौ हत्या की बात…. यह निश्चित ही गंभीर मसला है। इसे भारत में किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। यहां बहुसंख्यक हिंदू आबादी के लिए गाय पूजनीय, माता तुल्य है। यह विशुद्ध रूप से आस्था से जुड़ा मामला है, जिसका सम्मान किए जाने की जरूरत है।
लेकिन गौहत्या हिंदुस्तान में सालों से हो रही है, उसका विरोध भी साथ-साथ चलता रहा है। और सरकारों का रवैया इसे लेकर उदासीन ही रहा है। पर हाल के दिनों में तेवर में बदलाव नजर आए। मेरी दिलचस्पी का केंद्र इस मुद्दे को लेकर दिखाई गई यह टाइमिंग है। ऐसा मालूम पड़ता है, यूपी में मिली करिश्माई जीत से पूरे देश भर में भाजपा का आत्मविश्वास अपने एवरेस्ट पर पहुंच गया है। यूपी में मिला करिश्माई संख्या-बल केंद्र सहित तमाम भाजपा शासित राज्यों को सर्वशक्तिशाली, बाहुबली होने का एहसास करा रहा है। केंद्र व भाजपा शासित विभिन्न राज्यों के हालिया फैसले, अंदाजो-अदायगी यही जाहिर करते हैं। योगी सरकार को बूचड़ खाने बंद करना था, तो उसने सारे विरोध को दरकिनार कर उसे बंद कर ही दिया। रमन सरकार को शराब बेचना था, तो उसने सारे विरोध के बावजूद शराब बेचना शुरू किया ही। यकीनन, आने वाले समय में भी ऐसी और झलकियां मिलती रहेंगी। कोई अचरज नहीं, यदि भविष्य में भी भाजपा, विपक्षी-विरोधी नजरिए की परवाह किए बिना… एक जिद, एक जुनून के साथ अपने एजेंडे, अपनी सोच को, हठात तरीके से लागू करते नजर आए।
सफलता का जाम तो वैसे ही बहुत मादक…बहुत होश उड़ाने वाला होता है। फिर, देश के सबसे बड़े राज्य में ऐसी कल्पनातीत, करिश्माई जीत तो किसी का भी दिमाग खराब कर सकती है। राजनीति के आदिगुरु चाणक्य कहते हैं- शक्ति अपने साथ निरंकुशता लाती है, जबकि शक्ति का मतलब जिम्मेदारी-जवाबदेही होता है। सफलता के घोड़े पर सवार शक्तिशाली भाजपा को इसी बात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। खुले दिमाग से… सही मुद्दों पर सख्त रवैया रहेगा तो वह नोटबंदी की तरह अपने साइडइफेक्ट के साथ भी स्वीकार कर ली जाएगी। लेकिन यदि सोच में… नीयत में खोट होगी, अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश होगी, तो यकीनन लेने के देने पड़ सकते हैं। कामयाबी का घोड़ा कहीं भी मुंह के बल गिरा सकता है।
वास्तव में भाजपा ही नहीं… हर अधिकार संपन्न व्यक्ति या संगठन को यह समझने की जरूरत है कि विचार संक्रामक होते हैं और उत्प्रेरक का काम करते हैं… चीजें आपस में जुड़ी रहती हैं और अदृश्य रूप से एक-दूसरे पर असर डालती हैं। इसीलिए तो योगी सरकार के बूचडख़ाने पर प्रतिबंध के बाद, गुजरात व छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सख्त रवैया अपनाया। इसीलिए तो गोधरा की प्रतिक्रिया गुजरात दंगे के रूप में सामने आती हैं। बाबरी विध्वंस का असर सुदूर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार के रूप में दिखाई पड़ता है।
इसीलिए, अपने हर फैसले के प्रत्यक्ष व परोक्ष परिणामों की चिंता हर नेता का राजधर्म होना चाहिए। सफलता के घोड़े पर मदांध होकर, अतिआत्मविश्वास दिखाकर ज्यादा देर सवारी नहीं की जा सकती… होशपूर्वक, सबको साथ लेकर चलने से… सर्वजन हिताय की भावना से काम करने पर ही इसे काबू किया जा सकता है।
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