बस "हां" कहो ((ओशो की ध्यान पद्धति.)
" जीवन को नकार से नहीं जिया जा सकता, और जो जीवन को नकार से जीने का प्रयत्न करते हैं वे जीवन को केवल गंवा देते हैं। आप नकार को अपना आशियाना नहीं बना सकते क्योंकि नकार पूरी तरह खाली है। नकार अंधेरे की तरह है। अंधेरे का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं होता; यह केवल प्रकाश की अनुपस्थिति है। इसलिए आप सीधे-सीधे अंधेरे के साथ कुछ नहीं कर सकते। आप इसे कमरे से बाहर धकेल नहीं सकते, आप इसे पड़ोसी के घर में नहीं फेंक सकते; और आप अपने घर में और अधिक अंधेरा नहीं ला सकते। अंधेरे के साथ सीधे कुछ नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह नहीं है। यदि आप अंधेरे के साथ कुछ करना चाहते हैं, तो प्रकाश को बुझा दें; यदि आप अंधेरा नहीं चाहते, प्रकाश को जला दें। लेकिन जो कुछ भी आपको करना है वह प्रकाश के साथ करना है।'
' ठीक उसी तरह, हां प्रकाश है, नकार अंधेरा है। यदि आप अपने जीवन में वास्तव मेम कुछ करना चाहते हैं, आप को हां कहना सीखना पड़ेगा। और हां कहना अत्यधिक सुंदर है; मात्र हां कहना अधिक शिथिल करने वाला है। इसे सहजतापूर्वक अपनी जीवन शैली बना लो। वृक्षों से, पक्षियों से और लोगों से हां कहना शुरु करो, और तुम आश्चर्य चकित हो जाओगे: जीवन एक आशीर्वाद हो जाएगा यदि तुम इसे हां कहने लगो। जीवन एक महान साहसिक कृत्य हो जएगा।
जोरबा दि बुद्धा
विधि:
समय: प्रत्येक रात्रि, सोने से पहले, कम से कमे 10 मिनिट ; फिर सुबह सबसे पहले कम से कम 3 मिनिट। दिन में भी, जब भी आप नकारात्मक महसूस करें, अपने बिस्तर पर बैठ जाएं और इसे करें।
पहला चरण: हां में अपनी ऊर्जा लगना शुरु करें, हां को एक मंत्र बनालें। अपने बिस्तर पर बैठे हुए, हां... हां... दुहराना शुरु करें। इसए साथ एक धुन में हो जाएं। पहले आप इसे दुहरा रहेम होगे फिर इसके साथ लयबद्ध हो जाएं, इसके साथ झूमें। इसे सिर से पांव तक अपने पूरे अस्तित्व को आच्छादित करने दें। इसे गहराई तक अपने में प्रवेश करने दें।
दूसरा चरण: " यदि इसे जोर से नहीं कह सकते, तो धीमे से हां...हां...हां दुहराएं!
(ओशो की ध्यान पद्धति... ओशो डॉटकॉम से साभार)
" जीवन को नकार से नहीं जिया जा सकता, और जो जीवन को नकार से जीने का प्रयत्न करते हैं वे जीवन को केवल गंवा देते हैं। आप नकार को अपना आशियाना नहीं बना सकते क्योंकि नकार पूरी तरह खाली है। नकार अंधेरे की तरह है। अंधेरे का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं होता; यह केवल प्रकाश की अनुपस्थिति है। इसलिए आप सीधे-सीधे अंधेरे के साथ कुछ नहीं कर सकते। आप इसे कमरे से बाहर धकेल नहीं सकते, आप इसे पड़ोसी के घर में नहीं फेंक सकते; और आप अपने घर में और अधिक अंधेरा नहीं ला सकते। अंधेरे के साथ सीधे कुछ नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह नहीं है। यदि आप अंधेरे के साथ कुछ करना चाहते हैं, तो प्रकाश को बुझा दें; यदि आप अंधेरा नहीं चाहते, प्रकाश को जला दें। लेकिन जो कुछ भी आपको करना है वह प्रकाश के साथ करना है।'
' ठीक उसी तरह, हां प्रकाश है, नकार अंधेरा है। यदि आप अपने जीवन में वास्तव मेम कुछ करना चाहते हैं, आप को हां कहना सीखना पड़ेगा। और हां कहना अत्यधिक सुंदर है; मात्र हां कहना अधिक शिथिल करने वाला है। इसे सहजतापूर्वक अपनी जीवन शैली बना लो। वृक्षों से, पक्षियों से और लोगों से हां कहना शुरु करो, और तुम आश्चर्य चकित हो जाओगे: जीवन एक आशीर्वाद हो जाएगा यदि तुम इसे हां कहने लगो। जीवन एक महान साहसिक कृत्य हो जएगा।
जोरबा दि बुद्धा
विधि:
समय: प्रत्येक रात्रि, सोने से पहले, कम से कमे 10 मिनिट ; फिर सुबह सबसे पहले कम से कम 3 मिनिट। दिन में भी, जब भी आप नकारात्मक महसूस करें, अपने बिस्तर पर बैठ जाएं और इसे करें।
पहला चरण: हां में अपनी ऊर्जा लगना शुरु करें, हां को एक मंत्र बनालें। अपने बिस्तर पर बैठे हुए, हां... हां... दुहराना शुरु करें। इसए साथ एक धुन में हो जाएं। पहले आप इसे दुहरा रहेम होगे फिर इसके साथ लयबद्ध हो जाएं, इसके साथ झूमें। इसे सिर से पांव तक अपने पूरे अस्तित्व को आच्छादित करने दें। इसे गहराई तक अपने में प्रवेश करने दें।
दूसरा चरण: " यदि इसे जोर से नहीं कह सकते, तो धीमे से हां...हां...हां दुहराएं!
(ओशो की ध्यान पद्धति... ओशो डॉटकॉम से साभार)
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