स्वामी विवेकानंद भारत की महान विभूति थे और उनके विराट व्यक्तित्व से हर कोई प्रभावित हो जाता था। ऐसे ही एक बार एक विदेशी महिला उनकी ज्ञान संपदा से प्रभावित होकर उन पर रीझ गई और उनसे शादी करने की जिद करने लगी। किसी संन्यासी के लिए दुविधा वाली स्थिति हो सकती थी, लेकिन स्वामीजी ने इसका दिलचस्प समाधान निकाला...
एक बार जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए हुए थे। वहां एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई। जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से यह पूछा कि आप ने ऐसा प्रश्न क्यों किया? तो उस महिला का उत्तर था कि वह उनकी ज्ञान-बुद्धि से बहुत प्रभावित है और वह चाहती है कि उसका बेटा विवेकानंद के जैसा हो। उसे उनके जैसे ही बुद्धिमान बच्चे की कामना है। उसने फिर स्वामीजी से कहा कि क्या वो उससे शादी कर सकते हैं और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं? इस पर स्वामीजी ने बिना विचलित हुए उस महिला से कहा- प्रिय महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूं। शादी करना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा। इसके अलावा ऐसा ही हो, यानी मेरे जैसा ही आपको बच्चा हो इसकी गारंटी भी नहीं है। मैं क्या कोई भी आपसे ऐसा दावा नहीं कर सकेगा कि होने वाला बच्चा मेरी तरह होगा। पर एक रास्ता है, जिससे बात बन सकती है। ऐसा कुछ हो सकता है, जिससे आपकी इच्छा पूरी हो सकती है और मजे की बात तो यह है कि इसके लिए आपको इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। महिला ने कौतुहल से स्वामीजी से पूछा- कौन सा रास्ता है वह बताइए मुझे, मैं उसे जानना चाहती हूं। विवेकानंद मुस्कराते हुए बोले-आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें। इस प्रकार आप मेरी मां बन जाएंगी और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूरी हो जाएगी, महिला यह सुनकर अवाक रह गई। -
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