किन शब्दों में दूं परिभाषा
हर शब्द तुमसे छोटा लगता है
सरस्वती सी ज्ञान की गंगा
लक्ष्मी का भंडार तुम ही हो
सुबह की बेला दिन की धूप
गोधूलि की शाम तुम ही हो
थके पथिक की अंकशायिनी
रात्रि का विश्राम तुम ही हो।।
(नोट: इस कविता को किसने लिखा है मुझे नहीं पता, यदि किसी सज्जन को मालूम हो तो कृपया जरूर बताएं।)
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हर शब्द तुमसे छोटा लगता है
सरस्वती सी ज्ञान की गंगा
लक्ष्मी का भंडार तुम ही हो
सुबह की बेला दिन की धूप
गोधूलि की शाम तुम ही हो
थके पथिक की अंकशायिनी
रात्रि का विश्राम तुम ही हो।।
(नोट: इस कविता को किसने लिखा है मुझे नहीं पता, यदि किसी सज्जन को मालूम हो तो कृपया जरूर बताएं।)
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