14 November 2011

शब्द





किन शब्दों में दूं परिभाषा
हर शब्द तुमसे छोटा लगता है

सरस्वती सी ज्ञान की गंगा
लक्ष्मी का भंडार तुम ही हो

सुबह की बेला दिन की धूप
गोधूलि की शाम तुम ही हो

थके पथिक की अंकशायिनी
रात्रि का विश्राम तुम ही हो।।
(नोट: इस कविता को किसने लिखा है मुझे नहीं पता, यदि किसी सज्जन को मालूम हो तो कृपया जरूर बताएं।)
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