30 August 2012

रथचाइल्‍ड और भिखारी

रथचाइल्‍ड के संबंध में एक कहानी है—यह एक यहूदी धनपति था—एक भिखमँगे को एक दिन अपनी और आते देखते रहे। उसके फटे कपड़े हाथ में सूखी रोट, टूटे हुये जूते। उसके मन में एक विचार आय और उसने भिखारी को अपने पास बेंच पर पास बुलाया। भिखारी ने सोचा कुछ भीख में मिलेगा। सूट टाई पहने काफ़ी अमीर आदमी लग रहा है। रथचाइल्‍ड बहुत बड़ा धनपति था। और धन के साथ दिल भी उसका बहुत अमीर था। हजारों आदमी की मदद करता था। तब उसने उस भिखमँगे को अपने पास बैठने को कहा। और अपना कार्ड जेब से निकाल कर कहां, ये मेरा कार्ड है। तुम मेरे दफ्तर आ जाया करों। मैं हर महीने तुम्‍हें सौ डालर दे दिया करूंगा। नाहक एक-एक पैसे के लिए सारा दिन भटकते रहते हो। भिखारी को तो विश्‍वास ही नहीं हुआ। उसे लगा ये आदमी या तो पागल है, या हवा में बात को उड़ा रहा है।
लेकिन जब भिखारी रथचाइल्‍ड के दफ्तर पहुँचा तो सच ही उसे सौ डालर मिल गये। अब तो वह हर पहली ता को जाता और अपने सौ डालर ऐसे लेता जैसे वह यहां पर काम करता है। ये उसका मेहनताना है। जैसे उसे तनख्‍वाह मिल रही है। कभी अगर दो चार मिनट क्लर्क कुछ और काम में उलझ जाता तो वह शोर मचाने लग जाता की उसे कितनी दे हो गई यहां पर आये हुए उस की और ध्‍यान नहीं दिया जाता। उसके पैसे दे क्यों नहीं देते। जब तुम्‍हें पता है। आज पहली ता0 है। तो सब बातों को इंतजाम पहले से ही क्‍यों नहीं करते। कितना समय हमारा खराब होता है। हम लोग कोई फालतू तो नहीं है। हमें भी बहार बहुत काम है। हमारा भी धंधा खराब होता है। क्लर्क हंसता।
कोई दस साल तक ऐसा चलता रहा। बिना नागा के वह हर पहली ता को आता और अपने सौ डालर ले कर चला जाता। रथचाइल्‍ड ने बहुत धन बांटा,ऐसे और न जाने कितने ही भिखारी उसके यहां से बिना नागा धन ले जाते थे। एक बार जब वह भिखारी आया तो क्‍लर्क ने कहा की इस महीने से तुम्‍हें पचास डालर ही मिलेंगे। क्‍योंकि मालिक को व्‍यवसाय कोई खास ठीक नहीं चल रहा है। उसे पूछा ऐसा क्‍यों क्‍या तुम्‍हारी तनख्‍वाह में भी कुछ कमी हुई है। क्लर्क ने मना कर दिया। नहीं हमें तो पूरी ही मिलती है। तब भिखारी ने उसकी और घूर कर देखा तो ऐसा हमारे साथ ही क्‍यों हो रहा है। सालों से हमें सौ डालर मिल रहे है।
क्‍लर्क ने कहां मालिक की लड़की की शादी है। उस में बहुत खर्च करना है। इस लिए उन्‍होंने दान को आधा कर दिया गया है। वह भिखारी तो एक दम आग बबूला हो गया और टेबल पीटने लगा। उसने कहा बूलाओ मालिक को मैं बात करना चाहता हूं, मेरे पैसे को काट कर अपनी बेटी की शादी में लगाने वाला वह कोन है। एक गरीब आदमी के पैसे काटकर अपनी लड़की की शादी में मजे उड़ाने वाले गुलछर्रे उड़ाने वाला वह कौन होता है। बूलाओ, मालिक कहां है।
रथचाइल्ड ने अपनी आत्‍म कथा में लिखा है, कि मैं गया और मुझे बड़ी हंसी आयी। लेकिन मुझे एक बात समझ में आयी कि यही तो हम परमात्मा के साथ करते है।
यहीं तो हम सबने परमात्‍मा के साथ किया है। जो मिला है उसका धन्‍यवाद नहीं देते। उस दस साल में उसने कभी एक दिन भी धन्‍यवाद नहीं दिया। लेकिन पचास डालर कम हुए तो वह नाराज हो गया। सिकवा शिकायत की। आगबबूला हुआ। कि उसके पचास डालर क्‍यों काटे जा रहे है।
अगर तुमने मांगा तो पहली तो बात मिलेगा नहीं। और ये शुभ भी है कि नहीं मिलता,कयोंकि तुम जो भी मांगते हो। वह गलत होता है। तुम सही मांग ही नहीं सकते। तुम गलत हो। गलत से गलत की ही मांग उठती है। नीम में केवल नीम की निबोलियां ही लग सकती है। आम के सुस्‍वाद फलों के लगने की कोई संभावना नहीं हो सकती। जो तुम्‍हारी जड़ में नहीं है, वह तुम्‍हारे फल में न हो सकेगा। तुम गलत हो तो तुम जो मांगोंगे वह गलत होगा।
–ओशो जिन सूत्र—भाग—2, प्रवचन बाईसवां, पूना

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